लग जाये तो उद्वेलित ,
मन झिलमिल को
भर दे रोमांच और एहसासों से
सफ़र कराये रूह से ब्रह्म तक
शून्य से अनन्त
लफ्ज़ जो ऐसे होते हैं कभी
ज्वलंत ख़ुद में कभी मन्द,
मस्त-रूहानी से
हवाओं की हंसी मिट्टी की खुश्बू
फ़ुहारों की अठखेलियां लिए
मदमस्त पन्ने
इश्क़ में रब और रब में सब सा
तपती आँच में शब सा जो
मज़ा दे जाते हैं,
इसी का नाम लोग कविता
बतलाते हैं...
इसी का नाम लोग कविता
बतलाते हैं.....
#दीपक©✍
Kavita pe kavita...kya baat hai
जवाब देंहटाएंजी सब आपकी मेहरबानी है
हटाएंBhut hi pyari h bhut hi achchi or sachchi keep it up
जवाब देंहटाएंThankyou... Thankyou
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंWahhji wahh
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई
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