चलता चला जा सकता हूँ
तुम भी देखते रह जाओगे और वो भी
नहीं लूट के जाऊँगा नहीं कुछ तज कर
पर लेता हूँ साँस तो ख्याल आता है
की ज़िंदगी जिसने दी
जिसने चलना सिखाया
जिसके लाड़-प्यार ने काबिल बनाया
उसकी क्या गलती है
की उसको रुलाऊँ उसको क्यूँ नाहक
छोड़कर जाऊँ
तुम और वो सब तो जुड़ते बिछड़ते रहोगे
पर अपने तने से मैं क्यूँ कट जाऊँ
तुम मेहमां पंछियों से उम्मीद भी क्या
मेरा फल ही खाओगे, बीट भी करोगे
फिर उड़ भी तो जाओगे, पर
आज भी वो सींच रहा है कल भी वो सींचेगा
मुझसे बस अपनी उम्र में इज़ाफ़ा चाहता है
मैं सब्र करने का आदि हूँ
मौसम का इंतेज़ार करना मुझे आता है।
#दीपक©✍
deepak bahut acche....i am proud of u..lage raho...god bless u
जवाब देंहटाएंशुक्रिया🙏
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