खुश कौन है?
मज़े हम दोनों ले रहे हैं
तू मेरे, मैं तेरे ऐ ज़िन्दगी
मैं जैसे ही दो पंक्तियाँ
सुवर्णों में लिखता हूँ तू
उसमें गोदा-गादी कर
मज़े लेती है,
खुश कौन है?
पूरा होते होते ही कोई
पन्ना रह जाता है मेरा
क्यूँ, पलट कर कोरा
कर जाती है,
खुश कौन है?
तेरी इन्हीं हरकतों से हि
आजिज कइयों ने किया
परित्याग है तेरा पर कहाँ
तू लजाती है,
खुश कौन है?
मज़े हम दोनों ले रहे हैं
तू मेरे, मैं तेरे ऐ ज़िन्दगी...
@#दीपक✍
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