सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

-◆क्या क्या लिखते हैं◆-


किसी ने मज़ाकिया लहज़े में पूछा,
अरे मित्र क्या क्या अल्फ़ाज़ लिखते हैं

हमने उन्हें पास बुलाया और कहा,
मासूम दिल को दीवान-ए-खास लिखते हैं

कोरे कागज में उतारते हैं शख्सियत,
हम इशारों और आँखों का राज़ लिखते हैं

कभी अश्क़ कभी फ़रेब कभी वफ़ा,
मोहब्बतों का इकतरफ़ा आगाज़ लिखते हैं

मिट जाने की चाहतें और पाने की आरज़ू,
कभी मय कभी लब कभी आवाज़ लिखते हैं

हुस्न की तारीफें चाँद से ज्यादा कभी-
कभी अकेलेपन को जली  राख़ लिखते हैं

तुम इतने से भी नहीं समझोगे साथी
हम इंसानियत के झंडे पर शाबाश लिखते हैं

कंकड़ के कण पानी की धारा कभी
कभी आसमां सा सबका जुदा अंदाज़ लिखते हैं

वक़्त हो ग़र, ग़ौर करना तुम प्रिय मेरे,
हमारे भीतर पनपी कड़वाहट की घास लिखते हैं

समाज की लौकिक अलौकिक शक्ति,
कभी चर-अचर व ख़ुद में बसा विश्वास लिखते हैं

ग़रीबी की मार अमीरी का ग़ुरूर कभी,
हम कर्ज़ में खोखले हुए हाड़-मांस लिखते हैं

लोगों को एक दूसरे से जोड़ते हैं जो वो,
होली दिवाली ईद का हर्षोउल्लास लिखते हैं

अबतक जो देखा ज़माना है यहाँ हमने,
उसमे तुम्हारा हमारा बिता कल-आज लिखते हैं

हम अपने मन के मालिक हैं मनमौजी,
मन को बंशी महबूब के नाम को सांस लिखते हैं

हर बार कोशिश करते हैं कि प्रेम का प्रसार हो,
चलो आज फिर कलम से कोई अहसास लिखते हैं।
#दीपक©✍

15 टिप्‍पणियां:

  1. Ehsas likhte hain.... waah bhut Sundar tmhri kawitayin tmhri Kalam ki trh hi payari hai 😍

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  2. बस आपकी दुआओं का असर है। बहुत बहुत शुक्रिया।

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