कोई जो पूछ लेता है
वजह मेरी उदासी की सोचकर
थम जाता हूँ कि वजह क्या है
ये क्या है मुझमें उदास
ठहाका मारने वाला जो
सब को भरमाने वाला रंग है
तुझे मैं भूल नहीं पाया शायद
कोई ख़याली खूँटी धँसी है मन में
मेरी मोहब्बत टँगी रह गयी वहां
शायद रह गयी राहें वो जो कभी
सुकूँ कभी इंतज़ार कभी तन्हाई
से भेंट कराती थीं हाँ गड्ढा भी तो
है इक उम्मीदों का ...
ख़ैर इन्हें जहां बसना था बस गए
अब तो बस जीना और जीना है
तो हँसना पड़ेगा
उदासी है तो क्या
लोगों का काम है कहना
#दीपक©✍
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