बुधवार, 20 दिसंबर 2017

उदासी है तो क्या


कोई जो पूछ लेता है 
वजह मेरी उदासी की सोचकर
थम जाता हूँ कि वजह क्या है

ये क्या है मुझमें उदास 
ठहाका मारने वाला जो
सब को भरमाने वाला रंग है
तुझे मैं भूल नहीं पाया शायद

कोई ख़याली खूँटी धँसी है मन में
मेरी मोहब्बत टँगी रह गयी वहां
शायद रह गयी राहें वो जो कभी
सुकूँ कभी इंतज़ार कभी तन्हाई
से भेंट कराती थीं हाँ गड्ढा भी तो
है इक उम्मीदों का ...

ख़ैर इन्हें जहां बसना था बस गए
अब तो बस जीना और जीना है
तो हँसना पड़ेगा 
उदासी है तो क्या 
लोगों का काम है कहना

#दीपक©✍

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें