शनिवार, 23 दिसंबर 2017

यादों का दिसम्बर


2 टिप्‍पणियां:

  1. भाई पूरी प्रेम की गागर ही उडेल दिए हो वैसे शानदार है । एक मोर की व्यथा जैसी ।

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  2. ये तो आपकी पारखी नज़रों ने जान लिया
    शुक्रिया शुकिया

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