शनिवार, 16 दिसंबर 2017

अशोक चक्र


तड़प प्यास बेसब्री

इन्तेहा इंतेज़ार फिर क्रोध
उठता ग़ुबार
दहकता अंतर्मन
बदला जुनून सुकून फ़िर
क्षणिक संतोष घमण्ड
गर्व उन्माद पुनरावृतियाँ
असन्तोष पश्चाताप 
पछतावा ध्यान दान
मानवता फिर
एक अशोक का हृदय परिवर्तन
परिनिर्वाण शाश्वत...
#दीपक©✍


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें