◆●◆गहरी बातों के डिजिटल रास्ते◆●◆ #दीपक©✍ BestHindi-poetry-कवितायें-स्वरचित
रविवार, 31 दिसंबर 2017
रविवार, 24 दिसंबर 2017
शनिवार, 23 दिसंबर 2017
यादों का दिसम्बर
आज सर्द हवाओं ने छुआ जब
तो सिहरन हुई
याद आया तुम कैसे सिहर जाती
थी मेरे छूने से
कि जब गुदगुदे रजाई की ओट ली
जो सुकूँ मिला तब
याद आया तुम कैसे लिपट जाती
थी मेरे बदन में भरकर
थोड़ी सी हवा कहीं से घुस रही थी
जब करवट ली भींचकर
याद आया मेरी सांसों का तुम्हारी
गर्दन के पीछे तेज़ हो जाना
और तुम्हारा आँखे मीचकर वो
पलट के मुझमें समा जाना, हाँ
धड़कनों तक आँच का आना
मेरा तकिया बन जाना
मेरे चेहरे से चेहरा रगड़ना
याद आता है कैसे जीभ से
गुदगुदी कर मेरे कान काट
लेती थी आहिस्ता , तुम कैसे मुझे
बेसब्र कर जाती थी सच में ये जो
दिसम्बर है यादों का है
तेरे मेरे जज्बातों का है
#दीपक©✍
बुधवार, 20 दिसंबर 2017
उदासी है तो क्या
कोई जो पूछ लेता है
वजह मेरी उदासी की सोचकर
थम जाता हूँ कि वजह क्या है
ये क्या है मुझमें उदास
ठहाका मारने वाला जो
सब को भरमाने वाला रंग है
तुझे मैं भूल नहीं पाया शायद
कोई ख़याली खूँटी धँसी है मन में
मेरी मोहब्बत टँगी रह गयी वहां
शायद रह गयी राहें वो जो कभी
सुकूँ कभी इंतज़ार कभी तन्हाई
से भेंट कराती थीं हाँ गड्ढा भी तो
है इक उम्मीदों का ...
ख़ैर इन्हें जहां बसना था बस गए
अब तो बस जीना और जीना है
तो हँसना पड़ेगा
उदासी है तो क्या
लोगों का काम है कहना
#दीपक©✍
सोमवार, 18 दिसंबर 2017
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