बुधवार, 13 दिसंबर 2017

बड़ा वो मुझे हैं सताते सुनो

चलो गीत गाओ कुछ गुनगुनाओ
उनकी हर अदा, हर फ़िज़ा भुलाओ
बड़ा वो मुझे हैं सताते सुनो

न रहम किया है, न खैरात कोई
मुझसे लिपट कर न टूटी न रोई
मंज़ूर किये थे हर रिश्ते जिसने
वो पल भी नहीं हैं शर्माते सुनो

वो हर एक कोना हर एक पत्थर
जहाँ बैठ सपने सजाएं हैं अक्सर
जिनके सहारे करीब आते थे वो
मूँगफली के छिलके हैं चिढाते सुनो

कहाँ खो गयी उनकी सारी हया
जिसे बांध रखा था मेरी नज़र में

वो धीरे से आना-जलाना-चिढाना
वो बातों के पुल का बढ़ते ही जाना
बहाने बनाना वो , रूठना मनाना

वो पंछी भी नहीं अब गाते सुनो
बड़ा वो मुझे हैं  सताते सुनो

#दीपक©✍

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