सोमवार, 18 दिसंबर 2017

मन मेरा तू पराया नहीं

सोचता तू है क्यूँ 
मन मेरा तू पराया नहीं
तो झुकता क्यूँ है, मेरी
रहनुमाई तेरी ज़ागीर है
तो क्यूँ लेता है अँगड़ाई
उनकी दुआख्वानी में,
क्या रस है कोई अफ़ीमी
कोई नशा धतूर का जो
मुझे भी है भरमाता ,क़त्ल
करने को आतुर नहीं सोचता
तू है, चल जहालत ही सही
पर इंसानियत का क्या, तू 
मेहर है मेरी तुझे पाक ही है
रहना, खुदा को पेशगी तू है
सच तुझमें है
तो मैं मुकम्मल हूँ मुझमें
सोचता तू है क्यूँ...

#दीपक©✍

मन मेरा तू पराया नहीं


शनिवार, 16 दिसंबर 2017

वहाँ परछाईं मेरी खड़ी है

digitalsyaahi.blogspot.com By :- Deepak Vishwakarma #दीपक©✍

चलो देखो ज़िन्दगी
वहाँ परछाईं मेरी खड़ी है
अकेले अकेले बस गुमसुम सी
पूछने पर भी हिलती नहीं है
मुझसे नाराज़ है
 या उसे कोई दुःख है
तुम्हें तो पता होगा 
तुम्हारे लिए ही उसे रोज़ मैंने
कुचला है क्योंकि सबसे सुना है
ज़िन्दगी बेहतर होनी चाहिए
पर मेरी अपनी छाप वो है
मेरे अपने सारे ख्वाब वो है
तुझे बेहतर करने में उसे
बदतर कर रखा है 
शायद वो ख़फा है 
मेरे मौजूदा वज़ूद से..

#दीपक©✍

वहाँ परछाईं मेरी खड़ी है

digitalsyaahi.blogspot.com By :- Deepak Vishwakarma #दीपक©✍

अशोक चक्र


तड़प प्यास बेसब्री

इन्तेहा इंतेज़ार फिर क्रोध
उठता ग़ुबार
दहकता अंतर्मन
बदला जुनून सुकून फ़िर
क्षणिक संतोष घमण्ड
गर्व उन्माद पुनरावृतियाँ
असन्तोष पश्चाताप 
पछतावा ध्यान दान
मानवता फिर
एक अशोक का हृदय परिवर्तन
परिनिर्वाण शाश्वत...
#दीपक©✍


अशोक चक्र


गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

खुश कौन है?

खुश कौन है?
मज़े हम दोनों ले रहे हैं
तू मेरे, मैं तेरे ऐ ज़िन्दगी

मैं जैसे ही दो पंक्तियाँ
सुवर्णों में लिखता हूँ तू
उसमें गोदा-गादी कर
मज़े लेती है,
खुश कौन है?

पूरा होते होते ही कोई 
पन्ना रह जाता है मेरा
क्यूँ, पलट कर कोरा 
कर जाती है,
खुश कौन है?

तेरी इन्हीं हरकतों से हि
आजिज कइयों ने किया
परित्याग है तेरा पर कहाँ
तू लजाती है,
खुश कौन है?

मज़े हम दोनों ले रहे हैं
तू मेरे, मैं तेरे ऐ ज़िन्दगी...

@#दीपक✍